रिपोर्ट @संतोष कुमार मिश्रा
कन्या शिक्षा परिसर में रख रखाव के बिना आहरित हुई राशि
उमरिया --- निर्माण काल से ही भष्टाचार के दलदल में फंसी कन्या शिक्षा परिसर गोरईया में एक नया घोटाले की जानकारी प्रकाश में आयी है। बताया जाता है कि इस बार अमानत में खयानत कर समय से पहले ढाई करोड़ के लगभग शासकीय राशि के आहरण का बताया जाता है। विदित होवे की कन्या शिक्षा परिसर गोरईया में आवासीय परिसर, विद्यालय और छात्राओं के छात्रावास के निर्माण कराने के लिए निविदा आंमत्रित किया गया था और विद्यालय भवन के कार्य में मानक गुणवत्ता के विरुद्ध कार्य कर निर्माण कार्य को पूरा किया गया था, भवन निर्माण में गुणवत्ता हीन की उच्च स्तरीय शिकायत होने पर मामले में जांच होने पर विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता पाये जाने पर उस समय के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने पी आई यू के तत्कालीन एस डी ओ और एक उपयंत्री को निलंबित किया गया था, लेकिन संबंधित ठेकेदार पर वांछित कार्य वाही नहीं की गयी, जिससे ठेकेदार के मंसूबे बेलगाम होते चले गए और उन्होंने एक बार फिर से कतिपय अधिकारियों के सामने दाना डालकर अपने मकड़जाल में फंसाते हुए समय पूर्व विभाग में जमा अनेष्ट मनी जो लगभग ढाई करोड़ को निकालने में महारथ हासिल कर लिया है।
अमानत की समय पूर्व आहरित राशि मामले में कन्या शिक्षा परिसर से लेकर पी आई यू के वरिष्ठ अधिकारियों तक संदेह के दायरे में आ गयें है। जानकार सूत्रों का मानना है कि इस निर्माण कार्य की निविदा में पांच साल के रख रखाव भी शामिल था जिसकी अवधि पूरी हुए बिना इस राशि का आहरण किया जाना नियम विरूद्ध है और इस राशि का आहरण किये जाने से भ्रष्टाचार की भारी बूं आ रही है। बताया जाता है कि कन्या शिक्षा परिसर गोरईया की इसी निविदा में शामिल चाहर दीवारी के लिए बांऊण्डी बाल जो इसे निर्माण एजेंसी के व्दारा निर्मित की गयी थी, वह पूरी ध्वस्त हो गयी है, जिसके लिए कन्या शिक्षा परिसर के व्दारा जन जातीय कार्य विभाग को पत्राचार कर बांऊण्डी बाल कार्य कराने का उल्लेख किया गया था जिस पर कलेक्टर उमरिया ने मामले की गंभीरता से लेते हुए सबंधित विभाग को पत्र जारी कर पांच दिनों में जबाब चाहा था, लेकिन लोक निर्माण पी आई यू के आला अधिकारी ने पांच माह बाद भी कलेक्टर उमरिया को जबाब देना उचित नहीं समझा और न ही इस ओर कोई कार्यवाही करना उचित समझा,ऊपर से शासन के पक्ष में जमा राशि का नियम विरूद्ध आहरण कर न अपने कदाचरण का परिचय दिया, अपितु कलेक्टर उमरिया को भी खुली चुनौती दे दिया है। उमरिया जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की इस कार्य शैली से कलेक्टर जैसे संवेदनशील अधिकारी की छबि को भी पलीता लग रहा है। शासकीय राशि के नियम विरूद्ध आहरण मामले में मिली चुनौती पर अब कलेक्टर की कार्यवाही पर लोगों की निगाहें गडी हुई है कि अब क्या कार्यवाही की जायेगी।


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